
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
श्री राम
After cleansing the mirror of my mind with the pollen of the lotus feet of the Guru, I describe the pure glory of Raghuvara which bestows the four fruits of life.